प्रयागराज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर पीसीबी छात्रावास में ‘सूचना के अधिकार’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश वीरेन्द्र प्रताप सिंह (वत्स) रहे। उन्होंने सूचना के अधिकार से संबंधित विषय पर छात्रों से संवाद किया और सूचना के अधिकार पर छात्रों की जागरूकता परखी।
वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने इस मौके पर कहा कि सूचना का अधिकार लोकतंत्र का एक मजबूत पहरेदार है। सूचना का अधिकार शासन और प्रशासन में पारदर्शिता , दायित्वबोध और जनसहभागिता को बढ़ावा देता है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में इसकी अहम भूमिका है। भारत का हर नागरिक सरकारी विभागों से सूचना मांग सकता है।
कहा कि एक सामान्य नागरिक को सूचना मांगने का उतना ही अधिकार है, जितना संसद में एक सांसद को और विधानसभा में एक विधायक को। सूचना का अधिकार नागरिकों के सशक्तीकरण का एक बड़ा माध्यम है। सरकार के सभी विभागों में सूचना देने के लिए जन सूचना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
जन सूचना अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अपीलकर्ता को 30 दिनों के भीतर वांछित सूचना उपलब्ध कराएं। जन सूचना अधिकारी यदि सही समय से सही सूचना दे देता है तो इसका अर्थ है कि उसके विभाग में सब कुछ ठीक चल रहा है। यदि जन सूचना अधिकारी ने सूचना देने में आनाकानी की तो जन मानस में यह संदेश जाता है की कुछ तो गड़बड़ी है।
उन्होंने आश्वासन दिया की राज्य सूचना आयोग अपने कर्तव्य और दायित्वों को लेकर सजग है। भविष्य में सूचना का प्रवाह कभी बाधित नहीं होगा। जन के अधिकारों की रक्षा होगी। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त ने अपनी दूसरी काव्य कृति ‘अंत नही यह’ छात्रावास के पुस्तकालय को भेंट की।
उन्होंने कमरा नंबर 19 में व्यतीत किए अपने पुराने दिनों का स्मरण किया और छात्रावास के विभिन्न भागों का निरीक्षण किया। संगोष्ठी में प्रोफेसर सुनील विक्रम ने वीरेन्द्र प्रताप सिंह(वत्स) के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी काव्यकृति ‘ताजमहल के आंसू’ की चुनिंदा पंक्तियां सुनायीं।
कार्यक्रम का संयोजन नितिन सिंह, हिमांशु तिवारी, विकास उपाध्याय, आलोक यादव और पुष्कर मिश्रा ने किया एवं विशाल यादव, धनंजय कुशवाहा, श्रीकृष्ण झा, क्षितिज और रुद्र सिंह ने सूचना के अधिकार पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम मेंरवीन्द्र सिंह, दिनेश दीक्षित, संजय सिंह, उपेन्द्र परिहार,विजय सिंह एवं अनूप सिंह उपस्थित रहे।