महोबा उन्नाव में जिस बस से हादसा हुआ उसका पंजीकरण महोबा के एआरटीओ कार्यालय से हुआ है, लेकिन यह बस कभी यहां नहीं आई। उसमें फिटनेस, बीमा या परमिट था ही नहीं। यह अकेली बस नहीं है, बल्कि विभागीय मिलीभगत से पूर्व में एक-दो नहीं बल्कि नियम विरुद्ध जाकर 50 से ज्यादा बसों का पंजीकरण किया गया जो वर्तमान में दूसरे शहरों व राज्यों से संचालित हो रही हैं।
बुधवार हादसे के बाद आनन फानन बांदा के संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) उदयवीर सिंह के नेतृत्व में दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी गई। जांच टीम ने एआरटीओ कार्यालय से वर्ष 2020 व 2024 तक के वाहन पंजीकरण से संबंधित फाइलों को जब्त करते हुए 35 बसों का पंजीकरण निलंबित कर दिया है। पूरा खेल 2021 में ही पकड़ में आ गया था। तत्कालीन एआरटीओ महेंद्र प्रताप सिंह पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन अफसर नोटिस-नोटिस खेलते रह
ऋुटिवश हुआ कुछ गाड़ियों का गलत रजिस्ट्रेशन
महेंद्र प्रताप सिंह ने फोन पर बताया कि त्रुटिवश कुछ गाड़ियों के गलत तरीके से रजिस्ट्रेशन हो गए थे। उस समय मेरे पास टेक्निकल टीम नहीं थी। नई पोस्टिंग थी, मुझे कार्य अनुभव नहीं था। इसकी लंबी जांच चली, मुझे शासन से दंडित भी किया जा चुका है। अब मैं बहुत सावधानी से काम करता हूं।
उन्नाव में दुर्घटनाग्रस्त बस (यूपी 95 टी 4729) महोबा के उप संभागीय परिवहन कार्यालय से खन्ना थाना क्षेत्र के मवई खुर्द गांव के पुष्पेंद्र सिंह के नाम केयर ऑफ में पंजीकृत है। इसका पंजीकरण एक जनवरी 2021 में हुआ था। बस का संचालन जोधपुर की कंपनी एमएस केसी जैन ट्रेवल्स द्वारा किया जा रहा है। जांच टीम पुष्पेंद्र के गांव पहुंची तो पुष्पेंद्र वहां नहीं मिले। पंजीकरण फाइल में दर्ज मोबाइल नंबर पर काल की गई तो कई प्रयास के बाद काल रिसीव हुई।
पुष्पेंद्र ने बताया कि जिस कंपनी द्वारा बस का संचालन किया जा रहा है पहले वह उसी कंपनी में नौकरी करता था। कंपनी ने केयर ऑफ में उसके नाम से बस का पंजीकरण करा लिया था। पंजीकरण फाइल में दर्ज पते के बाबत उसका कहना है कि पहले उस पते पर रहता था।
वर्तमान में कहां रहता है?
इस सवाल पर गोलमोल जवाब देने लगा। उधर, बस को यहां किस तरह पंजीकृत कराया गया, इसकी जांच के लिए बांदा के संभागीय परिवहन अधिकारी उदयवीर सिंह के नेतृत्व में बुधवार दोपहर बाद दो सदस्यीय टीम महोबा पहुंची। जांच में सामने आया है कि वर्ष 2018 से 2024 के बीच महोबा के उप संभागीय परिवहन कार्यालय से 70 से ज्यादा बसें केयर आफ में एजेंटों के माध्यम से पंजीकृत हुईं। इससे साफ है कि सब कुछ रैकेट के रूप में संचालित हो रहा था।
एक बार बसों का पंजीकरण हो गया उसके बाद न तो उसकी फिटनेस जांच हुई और न ही बीमा का नवीनीकरण कराया गया। जांच से जुड़े अफसरों के मुताबिक केयर ऑफ में बसों के अवैध तरीके से पंजीकरण की जानकारी विभाग को वर्ष 2021 में ही लग गई थी। इसके बाद हर साल बस संचालकों से फिटनेस, परमिट और बीमा कराने के लिए नोटिस जारी किया गया। कुल सात नोटिस जारी की जा चुकी हैं
प्रकरण में तत्कालीन एआरटीओ महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ जांच भी शुरू की गई कि उन्होंने केयर आफ में बसों का पंजीकरण कैसे किया। महेंद्र प्रताप सिंह दोषी पाए गए और दंड स्वरूप आठ फरवरी 2024 को उनका एक इंन्क्रीमेंट रोक दिया गया।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी दयाशंकर ने बताया कि बिना फिटनेस और अन्य कमी के चलते 35 बसों का पंजीयन निलंबित कर दिया गया है। यह बसें केसी जैन के नाम पर पंजीकृत हैं। वर्ष 2021 से इनमें फिटनेस नहीं पाई गई।
जांच अधिकारी के मुताबिक इस प्रकरण में एफआइआर दर्ज कराने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। एक सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है और इसके बाद रजिस्ट्रेशन समाप्त कर दिया जाएगा।
हर्जाना देने की जिम्मेदारी बस मालिक की
आरटीओ के अधिकारियों के मुताबिक हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों को बीमा का लाभ नहीं मिल सकेगा, क्योंकि बस का बीमा समाप्त हो चुका है। अब बस मालिक की ही जिम्मेदारी होगी कि वह हादसे में जान गंवाने वाले और घायलों को हर्जाना दे।
एमपी सिंह ने एआरटीओ रहते केयर ऑफ में कराया 32 बसों का पंजीकरण
जांच के मुताबिक वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के बीच करमचंद्र जैन, ऐके टावर निकट न्यू कोहिनूर सिनेमा, जोधपुर के नाम केयर ऑफ पुष्पेंद्र सिंह से 35 बसों का पंजीकरण किया गया। शुरुआती जांच में इन्हीं 35 बसों का पंजीकरण निलंबित किया गया है। इन 35 बसों में वर्ष 2020 में 21, 2021 में 11, वर्ष 2023 में एक और वर्ष 2024 में दो बसों का पंजीकरण हुआ।
एआरटीओ कार्यालय के मुताबिक वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक एमपी सिंह एआरटीओ रहे और इस दौरान उन्होंने ही 32 बसों का पंजीकरण केयर आफ में कराया। एमपी सिंह विभागीय जांच में दोषी पाए जा चुके हैं और वर्तमान में सहारनपुर आरटीओ कार्यालय में तैनात हैं। इसके बाद वर्ष 2022 से 2023 के बीच सुरेश कुमार महोबा एआरटीओ रहे और उनके कार्यकाल में कोई भी पंजीकरण नहीं हुआ।
सुरेश कुमार वर्तमान में उरई एआरटीओ कार्यालय में हैं। इसके बाद सुनील दत्त यादव आए जो मंगलवार को ही रिलीव हुए और उनके कार्यकाल के दौरान भी तीन बसों का पंजीकरण पाया गया है। यह भी सामने आया है कि इन बसों ने जो टैक्स नहीं चुकाया वह बढ़कर वर्तमान समय में आठ करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।