नई दिल्ली कर्नाटक सरकार ने बीते दिन राज्य में निजी कंपनियों में समूह-सी और डी के पदों के लिए स्थानीय लोगों को 100% और उद्योग, कारखाना प्रबंधन श्रेणियों में 50 फीसदी और गैर प्रबंधन श्रेणियों में 70 फीसदी आरक्षण की बात कही थी।
हालांकि, कंपनियों की ओर से जताई गई आपत्तियों के बाद इस फैसले को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने प्राइवेट कंपनियों को एक बड़ा ऑफर दिया है।
नारा लोकेश ने दिया आंध्र प्रदेश आने का ऑफर
कर्नाटक सरकार के निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण के फैसले से नाराज उद्यमियों को आंध्र प्रदेश और केरल ने अपने यहां निवेश का न्योता दिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बेटे और मंत्री नारा लोकेश और केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव ने उद्यमियों को अपने राज्यों में स्वागत करते हुए सभी सुविधाएं देने का वादा किया है।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नेसकॉम) ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कर्नाटक के इस फैसले की आलोचना की थी।
इसका जवाब देते हुए आंध्र प्रदेश के आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, संचार और मानव संसाधन मंत्री नारा लोकेश ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, नेसकॉम के सदस्यों, हम आपकी निराशा को समझते हैं। हम विशाखापत्तनम में अपने आईटी, आईटी सर्विस, एआई और डाटा सेंटर क्लस्टर में आपका स्वागत करते हैं। हम आपको सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं और 24 घंटे बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर और आपकी आईटी कंपनी के लिए बेहतरीन स्किल टैलेंट ऑफर कर रहे हैं, वह भी किसी सरकारी प्रतिबंध के बिना।
केरल के मंत्री राजीव ने पोस्ट में लिखा, केरल में निवेश करें। कर्मचारी की प्रतिभा और योग्यता ही भर्ती का एकमात्र मानदंड है।
क्यों हुआ विवाद?
बता दें कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक दिन पहले ही कहा था कि कर्नाटक मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार की प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण की देखभाल करना है। इस विधेयक का उद्योगपतियों से लेकर विपक्ष तक ने विरोध किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बुधवार को अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
ये राज्य पहले भी कर चुके हैं कोशिश
स्थानीय लोगों के लिए अधिकतम आरक्षण का प्रावधान करने वाला कर्नाटक कोई पहला राज्य नहीं है। कर्नाटक से पहले हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश भी स्थानीय लोगों को निजी नौकरियों में 75 फीसदी तक आरक्षण का एलान कर चुके हैं। हालांकि, किसी भी राज्य में ये पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका।
सीएम ने अपने ट्वीट में क्या कहा था?
इससे पहले सीएम सिद्दरमैया ने अपने ट्वीट में कहा था कि कल हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा था कि हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण करना है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद सीएम सिद्दरमैया ने एक्स पोस्ट को डिलीट कर दिया था।