गोरखपुर रामगढ़ताल में शुक्रवार को बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां उतराती हुई मिली। इनमें ज्यादातर मछलियां आधे किग्रा से अधिक की है। ठेका पानी वाली समिति 40 लाख से अधिक के नुकसान का दावा कर रही है। मछलियों के मरने की वजह साफ नहीं हो पाई है।
समिति और विशेषज्ञों के अनुसार आक्सीजन की कमी और तापमान में उतार-चढ़ाव मछलियों के मरने की वजह हो सकती है। इसके पहले भी ताल में मछलियां मर चुकी हैं। यद्यपि, इतनी बड़ी संख्या में मछलियों के मरने की घटना लंबे समय बाद हुई है। फिलहाल जीडीए, समिति की मदद से मछलियों को ताल से निकालने में जुट गया है।
रामगढ़ताल को सजाने व संवारने की मंशा पर पानी फेरती यह तस्वीर पैड़लेगंज छोर की है। ताल में उतराती मरी मछलियां किनारों पर जमा प्लास्टिक कचरे में फंसी दिख रही हैं। जीवन के लिए खतरा सिद्ध होता प्लास्टिक कचरा यहां स्वयं प्लास्टिक मुक्त शहर के अभियान को आईना दिखा रहा है। अभिनव राजन चतुर्वेदी
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने तकरीबन 20 करोड़ रुपये से अधिक पर 10 साल तक मछली मारने का ठेका दिया है। ठेका लेने वाली मत्स्यजीवी सहकारी समिति लिमिटेड तारामंडल रोड मनहट, के पदाधिकारियों के मुताबिक उन्हें भी शुक्रवार की सुबह ही मछलियों के मरने की जानकारी हुई।
उनका दावा है कि गुरुवार को हुई बारिश के बाद तेज धूप निकलने से ताल के पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा कम हो गई जिससे मछलियां मर गईं। उन्होंने कहा कि पहले भी कुछ मछलियों की ऐसे मौत हो चुकी है। समिति के अध्यक्ष मदन लाल व सचिव बलदेव सिंह ने दावा किया कि मछलियों की मौत से 40-50 लाख रुपए की क्षति उठानी पड़ी है।
फिलहाल मछलियों को ताल से मछुआरों ने एकत्र कर बाहर निकालना शुरु कर दिया है। देर शाम तक काफी मछलियों को निकाला जा चुका था। शनिवार की सुबह तक सभी मरी हुईं मछलियों को निकाल लिया जाएगा ताकि ताल में उनके सड़ने से बदबू न फैले। प्राधिकरण उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने बताया कि ताल में मछलियों के मौत की जानकारी मिली है, लेकिन मछलियों के मौत की वजह नहीं स्पष्ट हो सकी है।