वाराणसी मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर पांच महिलाओं की ओर से दाखिल वाद सहित ज्ञानवापी को लेकर लंबित कुछ अन्य मुकदमों की सुनवाई शनिवार को जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में हुई।
अदालत ने सभी मामलों में सुनवाई की अगली तारीख तीन अगस्त दी है। ज्ञानवापी के बंद तलगृहों का एएसआई सर्वे कराने की मांग को लेकर राखी सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र भी सुनवाई हुई।
वकील सुधीर त्रिपाठी ने व्यासजी के तलगृह के ऊपर की जर्जर हो चुकी छत का मरम्मत कराने की अनुमति देने के लंबित प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई की अपील की।
इसके अलावा ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण व हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने की मांग को लेकर 1991 में पं. सोमनाथ व्यास एवं अन्य द्वारा दाखिल मुकदमे की सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) की अदालत से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई।
भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के राग भोग, पूजा-पाठ की अनुमति देने को लेकर किरण सिंह एवं अन्य की ओर से दाखिल वाद पर सुनवाई के दौरान पक्षकार विकास शाह और विद्याचंद की ओर से उपस्थित वकील डा. एसके द्विवेदी और शिवम गौड़ ने कहा कि मूल वाद और उसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई एक ही अदालत में एक साथ नहीं हो सकती है। मूलवाद को संबंधित न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए अथवा पुनरीक्षण याचिका निरस्त की जाए।
किरण सिंह की ओर से पेश वकील मान बहादुर सिंह की दलील थी कि ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े लगभग 30 मामलों की भिन्न-भिन्न अदालतों में सुनवाई चल रही है। इन सभी मुकदमों की एक ही प्रकृति है। एक अदालत में सुनवाई होने से परस्पर विरोधी निर्णय की संभावना नहीं रहेगी।
अंजुमन व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील मुमताज अहमद व तौहीद खान ने पुनरीक्षण याचिका पर पहले सुनवाई की मांग की। जिला जज ने अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख दी है।