नई दिल्ली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में मोदी 3.0 सरकार का पहला केंद्रीय बजट पेश करेंगी। किसान सरकार की प्राथमिकता में कितना अहम है कि सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले पीएम किसान योजना के लिए धन आवंटन की फाइल हस्ताक्षरित की थी। सरकार एग्रीकल्चर सेक्टर और किसानों को लेकर काफी गंभीर है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि इस बार वित्त मंत्री कृषि को लेकर कुछ बड़े ऐलान कर सकती हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए के लिए कुछ घोषणाएं संभव है। वहीं जलवायु परिवर्तन की वजह से किसानों की पैदावार में असर पड़ना, बीज की समस्या, मुख्य फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने जैसे मामलों की चुनौतियों को कम करने के लिए रिसर्च और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ज्यादा प्रावधान किए जा सकते हैं। वहीं इसमें कुछ फसलों पर एमएसपी की गारंटी, दीर्घकालिक ऋण के लिए योजनाएं हो सकती हैं। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के लिए बजट को बढ़ाने का भी ऐलान होने की संभावना है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार वर्तमान में चल रही योजनाओं में पहले से ज्यादा आवंटन कर सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया अनुमानों के अनुसार, ग्रामीण मांग में सुधार और मुद्रास्फीति में नरमी के कारण वित्त वर्ष 25 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। भारत के कृषि क्षेत्र के चालू वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में छह प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि क्षेत्र प्रतिकूल मौसम की स्थिति, सूखे, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और मुद्रास्फीति के दबाव जैसी कठिन चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में बेहतर बाजार उपलबधता, निजी क्षेत्र की भागीदारी, आसान ऋण की उपलब्धता और मजबूत ग्रामीण बुनियादी ढाँचा, भारत के कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए एक मज़बूत और विश्वसनीय भविष्य सुनिश्चित करेंगे।
एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित हो
देश में किसान लम्बे समय में आंदोलन कर एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं। बजट से पहले वित्त मंत्री की ओर से आयोजित की गई बैठकों में भी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार दलहन और तिलहन जैसी फसलों से एमएसपी की गारंटी का ऐलान कर सकती है। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी कहते हैं कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सरकार किसानों को उनकी फसल को एमएसपी पर खरीदना सुनिश्चित करे। दुनिया भर के विकसित देश अनिवार्य रूप से किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदते हैं। लेकिन भारत में किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता। सरकार कुछ फसलों के लिए एमएसपी जारी भी करती है लेकिन कुछ एक निश्चित समय के लिए खरीद होती है। इसे में सिर्फ सक्षम किसान ही अपनी फसल सरकार को बेच पाते हैं। बाकी छोटी किसानों को आढ़तियों को अपनी उपज एमएसपी से कम दाम पर बेचनी पड़ती है। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इस बजट में किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी और पूरे साल खरीद के प्रावधान को लेकर कुछ ऐलान करेगी।
चौधरी कहते हैं कि आज हमारे देश में जमीन की कम होती उर्वराशक्ति भी एक बड़ी चुनौती है। अंधाधुध केमिकल फर्टिलाइजर और दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी को काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं इन उत्पादों को बनाने वाली कंपनियों ने साजिश के तहत ये प्रचारित किया है कि अगर जैविक उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है तो उपज कम होगी। लेकिन कई प्रयोगों में ये साबित हो चुका है कि जैविक उर्वरक उत्पादन के लिए बेहतर हैं। साइंटिफिक तरीके से इनका इस्तेमाल करने पर आपकी उपज बढ़ भी सकती है। ऐसे में सरकार को इस तरह की नीतियों पर जोर देने की जरूरत है कि जिनसे ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिले। उम्मीद है। बजट में इस तरह के कुछ प्रावधान होंगे।
एग्रीकल्चर सेक्टर में है बड़े निवेश की जरूरत
एग्रिकल्चर पॉलिसी एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि सरकार को 50 फीसदी जनता के लिए 50 फीसदी बजट का प्रावधान करना चाहिए। आज देश में लगभग 50 फीसदी लोगों को एग्रीकल्चर सेक्टर में ही रोजगार मिलता है। जबकि इस सेक्टर को मात्र 3 फीसदी बजट मिलता है। देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। एग्रीकल्चर एक्टर और किसानों का का कायाकल्प करने करना है तो अगले पांच सालों तक हर साल एग्रीकल्चर में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा। इस बजट से रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत है। भारत सरकार की संस्था कमीशन ऑफ एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में अगर हर 5 किलोमीटर पर मंडी चाहिए तो हमें लगभग 42000 मंडियां बनानी होंगी। वहीं आज हमारे देश में लगभग 7000 मंडियां हैं। इसी तरह देश में बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज, गोदाम आदि सुविधाओं की बेहद कमी है। निवेश बढ़ाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था बूस्ट होगी तो देश की अर्थव्यवस्था में निश्चित तौर पर तेजी आएगी।
एमएसपी की गारंटी दिए जाने पर देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि इस बात का भ्रम फैलाया गया है कि किसानों को एमएसपी की गारंटी मिलने पर सरकार पर बहुत भारी आर्थिक बोझ आएगा। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी की गारंटी दिए जाने पर सरकार पर मात्र 22000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा। इस खर्च से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में काफी मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 से 2023 के बीच भारत के शहरों में रहने वाले लगभग 5.5 करोड़ लोग गांवों की तरफ वापस लौटे हैं। ऐसे में सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए ग्राीमण अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाना चाहिए। इससे एक तरफ जहां लोगों से पलायन से शहरों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा वहीं गांवों में भी लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की है जरूरत
देश के एग्रीकल्चर सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए सरकार को निश्चित तौर पर अपने खर्च को बढ़ाने की जरूरत है। इंडियन सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह कहते हैं कि आज सरकार किसानों के लिए 27 से ज्यादा स्कीमें चला रही है। इनमें निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है। देश में आज भी किसान खेती के लिए बुनियादी, पारंपरिक तरीकों का उपयोग करते हैं। जबकि क्लाइमेट चेंज और बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए आज आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज और बेहतर उर्वरकों की जरूतर बढ़ जाती है। खेती में ड्रोन, एआई तकनीक और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की जरूरत है। बजट में इन पर सरकार का जोर होना चाहिए। ये तकनीकें फसलों की पैदावार बढ़ाने के साथ ही देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।