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Tuesday, December 24, 2024
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    ‘बीआरएस सरकार के दौरान जज के परिवार पर रखी गई निगरानी’, पुलिस का दावा- रेवंत रेड्डी के परिवार की प्रोफाइल तैयार की थी

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    हैदराबाद फोन टैपिंग मामले के आरोपितों ने तेलंगाना की पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के कार्यकाल में हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश और उनके स्वजन सहित कुछ राजनीतिक नेताओं के मोबाइल फोन पर निगरानी रखी थी। हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना हाई कोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामा में यह दावा किया है।

    रेवंत रेड्डी के परिवार की प्रोफाइल तैयार की थी

    पुलिस ने यह भी कहा है कि आरोपित पुलिस अधिकारियों ने कांग्रेस नेता एवं मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और अन्य के फोन नंबर के सीडीआर (काल डिटेल रिकार्ड) और आइपीडीआर (इंटरनेट प्रोटोकाल डिटेल रिकार्ड) प्राप्त किये थे। इसके अनुसार, आरोपितों ने रेवंत रेड्डी के परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, करीबियों और पार्टी सहयोगियों की प्रोफाइल तैयार की थी।

    हैदराबाद पुलिस ने विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआइबी) के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक, दो अपर पुलिस अधीक्षक और पूर्व पुलिस आयुक्त सहित छह के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इन अधिकारियों को 13 मार्च को विभिन्न इलेक्ट्रानिक गैजेट से डेटा को मिटाने और पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार के कार्यकाल में फोन टैपिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल

    पुलिस ने बुधवार को हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर फोन टैपिंग मामले की सुनवाई कर रहा है। शहर पुलिस ने बताया कि एसआइबी के फरार पूर्व प्रमुख टी. प्रभाकर राव ने तत्कालीन सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से राजनीतिक निगरानी करने से जुड़े कार्यों के लिए एसआइबी में अनौपचारिक रूप से विशेष अभियान दल का गठन किया।

    इसमें कहा गया है कि एसआइबी के निलंबित डीएसपी डी. प्रणीत कुमार उर्फ प्रणीत राव और उनकी टीम ने सैकड़ों लोगों के प्रोफाइल तैयार किए। कई लोगों के सैकड़ों फोन काल टैप किए गए।

    आरोपितों ने जानबूझकर सभी टैपिंग नियमों का उल्लंघन किया

    हैदराबाद पुलिस ने दावा किया है कि आरोपितों ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश और उनकी पत्नी के फोन नंबरों की सीडीआर और आइपीडीआर हासिल की थी। उन्होंने 10 सितंबर, 2022 से नौ सितंबर, 2023 तक की अवधि के लिए सीडीआर हासिल की और आठ अगस्त, 2023 से सात सितंबर, 2023 तक की अवधि के लिए आइपीडीआर प्राप्त की थी। हलफनामे के अनुसार, आरोपितों ने जानबूझकर सभी टैपिंग नियमों का उल्लंघन किया। जबकि वे जानते थे कि ऐसा करना टेलीग्राफ अधिनियम के प्रविधानों के विरुद्ध है।

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