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Monday, December 23, 2024
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    विजिलेंस टीम के बिछाए जाल में फंसी रिश्वतखाेर महिला क्लर्क; हाथरस CMO ऑफिस में की बाबू घूस लेते रंगे हाथाें गिरफ्तार

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    आगरा हाथरस मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात महिला वरिष्ठ सहायक को नेत्र परीक्षण अधिकारी से 45 हजार रुपये घूस लेते विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया। पीड़ित और महिला कर्मचारी के बयान के आधार पर विजिलेंस ने भ्रष्टाचार के मुकदमे में हाथरस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी आरोपित बनाया है।

    रुका हुआ था तीन महीने का वेतन

    सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुरसान पर तैनात नेत्र परीक्षण अधिकारी ननकेश विमल का सितंबर, अक्टूबर और नवंबर 2023 का वेतन रुका हुआ है। उनके वेतन, एरियर और पत्नी के उपचार में खर्च हुए बिल की फाइल कई महीने से हाथरस मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में पड़ी थी। जिसे पास कराने के लिए वह सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे थे। ननकेश कुमार विमल से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मंजीत सिंह 40 हजार रुपये घूस मांग रहे थे। उन्होंने ननकेश को अपने कार्यालय में तैनात बाबू मधु भाटिया से संपर्क करने को कहा।

    40 हजार रुपयों की मांग

    नेत्र परीक्षण अधिकारी मधु भाटिया से मिले तो उसने 40 हजार रुपये सीएमओ और पांच हजार रुपये अपने लिए मांगे। सीएमओ कार्यालय में भ्रष्टाचार से परेशान ननकेश ने एसपी विजिलेंस शगुन गौतम से एक सप्ताह पूर्व मिले। घूस मांगे जाने की शिकायत की। साक्ष्य के रूप में आडियो आदि दिखाए। विजिलेंस द्वारा जांच के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी महिला बाबू द्वारा घूस मांगने के आरोप की पुष्टि हुई।

    रंगे हाथ पकड़ने के लिए टीम

    एसपी विजिलेंस शगुन गौतम ने बताया पुष्टि के बाद घूसखोर को रंगे हाथों पकड़ने के लिए टीम बनाई गईं। शुक्रवार को विजिलेंस टीम ने हाथरस मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में डेरा डाल दिया। ननकेश विमल द्वारा लिफाफे में घूस की रकम मधु भाटिया को देते रंगे हाथों उसे गिरफ्तार कर लिया।

    एसपी शगुन गौतम ने बताया महिला बाबू ने बयान में 40 हजार रुपये मुख्य चिकित्सा अधिकारी औेर पांच हजार रुपये अपने लिए लेना बताया है। जिसके आधार पर मुकदमे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मंजीत सिंह को भी आरोपित बनाया गया है।

    ननकेश कुमार विमल की परेशानी और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता की कहानी सुन विजिलेंस भी हैरान थी। ननकेश विमल ने बताया कि उनकी पत्नी करीब साढ़े वर्ष से कोमा में थीं। वह उनकी नियमित देखभाल औेर उपचार करा रहे हैं। तीन महीने का वेतन, एरियर और पत्नी के उपचार में हुए खर्च की फाइल पास नहीं करने से वह काफी परेशान थे। उन्हें रुपये की जरूरत थी। पत्नी के कोमा में होने की जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी और महिला बाबू को दी। इसके बाद वह बिना घूस लिए फाइल पास करने को तैयार नहीं थे। विभाग की संवेदनहीनता देखने के बाद उन्होंने भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाने का निर्णय लिया।

    सीएमओ बोले आरोप बेबुनियाद

    इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह बेबुनियाद हैं। जांच के लिए विजिलेंस टीम का पूरा सहयोग किया जाएगा। डा. मंजीत सिंह सीएमओ 

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