गोरखपुर चिलुआताल में पानी के ऊपर बिजली पैदा करने की तैयारी शुरू हो गई है। यह संभव होगा सोलर पैनल लगने से। चिलुआताल के 80 एकड़ क्षेत्रफल में सोलर पैनल लगाने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यहां सोलर पैनल लगाकर 20 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है। गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) इंडिया सोलर पैनल लगवाएगा।
चिलुआताल में बिजली पैदा करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव बनाने को कहा था। प्रशासन के माध्यम से कुछ महीने पहले प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। शासन में प्रस्ताव का परीक्षण हुआ और फिर मंजूरी दी गई। इसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया। सोलर पैनल इस तरह लगाए जाएंगे कि वह पानी के ऊपर रहेंगे।
विशेष प्रकार के फाइबर पर इसे लगाया जाएगा। यह फाइबर पानी में रहने के बाद भी खराब नहीं होगा। नेडा के परियोजना अधिकारी गोविंद तिवारी ने बताया कि पानी के ऊपर सोलर पैनल लगाया जाएगा। यह महत्वाकांक्षी योजना है।
साल के अंत तक चिलुआताल पर मिलेगा रामगढ़ताल सा लुत्फ
वर्ष अंत तक पूर्वांचल के लोगों को पर्यटन का लुत्फ उठाने के लिए रामगढ़ताल की तरह एक और ताल मिलने वाला है। सोनौली रोड पर चिलुआताल तेजी से पर्यटन केंद्र का रूप लेने लगा है। ताल पर घाट बनकर तैयार हो गया है। संपर्क मार्ग स्वागत गेट के साथ आकार ले रहा है। ताल किनारे बोल्डर पिचिंग का काम लगभग पूरा होने को है और उसके जरिये ताल की खूबसूरती बढ़ने को है।
पर्यटन विभाग के मुताबिक तीन से चार महीने में चिलुआताल चमकने लगेगा। पर्यटकों का मन मोहने लगेगा। चिलुआताल पर्यटन केंद्र कुल 69.5 एकड़ क्षेत्र में 20 करोड़ रुपये की लागत से विकसित हो रहा है। इनमें से पांच हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को मुफ्त प्राप्त हुई है, जबकि 28 हेक्टेयर भूमि को आसपास के काश्तकारों से पर्यटन विभाग को अधिग्रहीत करनी थी।
इसके लिए 23 करोड़ 56 लाख रुपये शासन की ओर से विभाग को प्राप्त हुई थी। विभाग ने आधी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया किसानों को मुआवजे की राशि देकर पूरी कर ली है। बाकी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी गई है, जिसे अगले दो महीने में पूरा कर लेने का लक्ष्य है। घाट व संपर्क मार्ग का निर्माण उस भूमि पर हुआ है, जो प्रशासन की ओर से पर्यटन विभाग को मुफ्त प्राप्त हुई है।
पर्यटन विभाग को इस नवीन पर्यटन स्थल से काफी उम्मीद है। बौद्ध परिपथ स्थित यह पर्यटन केंद्र पूर्वांचल में पर्यटकों की आवक बढ़ाने में सहायक साबित हाेगा। नेपाल जाने या वहां से लौटने वाले पर्यटकों का यहां अवश्य ठहराव होगा, ऐसी विभाग को उम्मीद है। पास से गुजर रही फोरलेन सड़क ने भी क्षेत्र का महत्व बढ़ा दिया है।
गोरखनाथ मंदिर के नजदीक होने की वजह इस नवीन पर्यटन केंद्र का महत्व होगा। गुरु गोरक्षनाथ का दर्शन करने के लिए गोरखनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को चिलुआताल लुत्फ उठाने के लिए आकर्षित करेगा।
ऐसा होगा चिलुआताल पर्यटन केंद्र चिलुआताल के किनारे 570 मीटर का बांध बनाकर उसे सुव्यवस्थित आकार दिया गया है। 70 मीटर का घाट बनाया गया है। 660 मीटर में बोल्डर पिचिंग कराई जा रही है। इसके ऊपरी हिस्से पर वाकिंग ट्रैक बनाया जार रहा है।
घाट तक पहुंचने के लिए 700 मीटर का संपर्क मार्ग बनाया गया है। प्रवेश करने के साथ ही लोगों को भव्य स्थान पर जाने का अहसास हो, इसके लिए गेट बनाने की तैयारी की जा रही है। घाट के पास सात क्यास्क लगाए जाएंगे और उनके नीचे बेंच का इंतजाम होगा, जहां बैठकर पर्यटक ताल के प्राकृतिक वातावरण का लुत्फ उठा सकेंगे।