मैनपुरी हाथरस के सिकंदराराऊ में हुए भीषण हादसे के बाद साकार विश्व हरि भोले बाबा का नाम हर तरफ चर्चा में हैं। इसके साथ ही बिछवां में बना रामकुटीर आश्रम भी सुर्खियों में बना हुआ है। सुरक्षा को भारी पुलिस बल की तैनाती, बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा। जितने मुंह, उतनी बातें। कोई कह रहा है कि भोले बाबा आश्रम में ही रुके हैं तो कोई उनके न होने के दावों में जुटा है।
बाबा की मौजूदगी के इस रहस्य के बीच उनके आश्रम को भी रहस्यलोक का नाम दिया जा रहा है। कभी किसी को आश्रम से दूर बने खंडहर में तहखाना दिखता है तो कभी सुरंगों की मनमानी कहानी प्रसारित की जाती है। लोगों में जिज्ञासा इसलिए भी है कि नौ बीघा में फैला यह आश्रम ऊंची दीवारों से घिरा है। बाहरी लोगों के प्रवेश पर सख्ती भी लोगों की उत्कंठा जगाती है। आश्रम के अंदर दो भवन बने हैं। इनमें से एक है भोले बाबा का प्रवास स्थल, जाे सभी सुविधाओं से परिपूर्ण बताया जाता है।
बिछवां चौराहा से फ्लाई ओवर से बगल से भोगांव की ओर रांग साइड पर चलिए 500 मीटर दूर पेट्रोल पंप से सीमेंट की एक सड़क नगर आती है। सड़क पर आगे बढ़ते ही दूर से भोले बाबा का यह कथित रहस्यलोक नजर आने लगता है। वर्ष 2020-21 में अनुयायी मैनपुरी शहर निवासी विनोद बाबू आनंद ने अन्य भक्तों के साथ मिलकर इस आश्रम का निर्माण कराया था।
तीन तरफ से बराबर भुजाओं वाला यह आश्रम दायीं ओर से तिकौना बना है। चारों तरफ 12 फीट ऊंची दीवार है। आश्रम का मुख्य द्वार भव्य और 25 फीट ऊंचा है। गेट पर सुनहरे रंग का पेंट किया गया है। भोले बाबा जब भी आते हैं तो उनका काफिला इसी मुख्य द्वार से प्रवेश करता है। वहीं अनुयायियों और सेवादारों के आवागमन के लिए दाहिनी ओर एक दूसरा गेट लगा है, इसे पीले रंग से पेंट किया गया है।
इसी गेट के बगल से चार हालनुमा कमरे बने हैं। इनमें ही सेवादार और अनुयायी ठहरते हैं। वह खुद ही यहां अपनी रसोई भी तैयार करते हैं। हर समय 25 से 30 सेवादार आदि आश्रम में मौजूद रहते हैं। भोले बाबा के प्रवास के दौरान इनकी संख्या और बढ़ जाती है।
आश्रम परिसर में बिल्कुल बीचोंबीच एक आकर्षक पार्क बना हुआ है। इसमें चारों तरफ सजावटी पेड़-पौधे लगे हैं। इस पार्क का फर्श सुंदर रंगोली की डिजाइन में अलग-अलग रंग के पत्थरों से बना है। इसके चारों ओर लाल, हरे और पीले रंग के पत्थरों से वाक वे बना हुआ है। इस पार्क के ऐन सामने बना है भोले बाबा का प्रवास स्थल। बताया गया कि प्रवास स्थल का मुख्य द्वार कांच का बना हुआ है। इसके अंदर चार कमरे बने हैं। एक अतिथि कक्ष भी बना हुआ है। यहां हर किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं होती।
भोले बाबा का प्रवास हो न हो, इस भवन की हर रोज फूलों से सजावट और साफ-सफाई आदि की जाती है। इस भवन में सभी सुविधाएं भी मुहैया होने का दावा किया जा रहा है। रामकुटीर ट्रस्ट बनाने वाले विनोद बाबू आनंद ने बताया कि नारायण हरि किसी से कुछ नहीं लेते। वह प्रवास के दौरान भी जमीन पर ही सामान्य गद्दा बिछाकर सोते हैं। हादसे को लेकर उनके ऊपर निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। अाश्रम को लेकर भी झूठी खबरें प्रचारित की जा रही हैं।
सबसे पहले आपबीती, फिर भोले बाबा की वाणी
भोले बाबा के सत्संग को मानव मंगल मिलन सदभावना समागम का नाम दिया जाता है। अनुयायी इस सत्संग को सत्य का साथ करना भी कहते हैं। इन आयोजनों में सबसे पहले कुछ भक्त एक-एक कर अपने अनुभव बताते हैं। इस दौरान कुछ भजन भी गाए जाते हैं। इसके बाद भोले बाबा अपनी वाणाी सुनाते हैं। बरेली के रहने वाली अनुयायी राजेश कुमार बिछवां में ही रुके हुए हैं। उन्होंने बताया कि नारायण हरि सभी को सदमार्ग पर चलने और सत्य बोलने की सीख देते हैं। मानव को मानव से प्रेम का व्यवहार रखने और परमात्मा का ध्यान करने को कहते हैं।
भक्त ही तैयार करते हैं चमत्कारी बूटी
भोले बाबा की कथित चमत्कारी बूटी की चर्चाएं भी इन दिनों सबसे ज्यादा हैं। यह एक प्रकार का पेय है, जो भंडारे में भोले बाबा के अनुयायियों को दिया जाता है। अनुयायी राजेश कुमार ने बताया कि भक्त इसे नीबू प्रसाद भी कहते हैं। इस प्रसाद को सत्संग में नहीं बांटा जाता है। यह भंडारे में मिलता है और भक्त खुद इसे तैयार करते हैं। इसमें नीबू, गिलोय, दालचीनी आदि सामग्री मिलाई जाती है।
खुद का राशन, खुद का पानी
सत्संग या प्रवास के दौरान भोले बाबा किसी के यहां का पानी या भोजन नहीं करते। अनुयायियों के अनुसार उनके साथ एक अलग गाड़ी में राशन और पानी भी चलता है। जहां जाते हैं, उसका ही उपयोग करते हैं। पानी उनके पैतृक धाम से मंगाया जाता है।
25 साल बाद हुआ बेटा तो बनवाया आश्रम
रामकुटीर आश्रम का निर्माण कराने वाले विनोद बाबू आनंद मैनपुरी शहर के शिव नगर के रहने वाला है। वह लंबे समय से भोले बाबा के अनुयायी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 उनके यहां शादी के 25 वर्ष बाद बेटे का जन्म हुआ था। हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई मन्नत आदि नहीं मांगी थी। इसके बाद भी उन्होंने रामकुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट हरि नगर बिछवां के नाम से ट्रस्ट का गठन किया। नौ बीघा जमीन खरीदी और वहां पर आश्रम का निर्माण कराया। आश्रम में प्रवास के लिए वह लंबे समय से भोले बाबा के अनुरोध कर रहे थे। इसके स्वीकार करने के बाद बाबा ने 10 मई से आश्रम में प्रवास किया।