गोरखपुर स्टेशनों के बाद अब रेलवे अस्पतालों की सफाई व्यवस्था भी निजी हाथों में होगी। साफ-सफाई की जिम्मेदारी आउटसोर्स कर्मचारी संभालेंगे। रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे स्तर पर 31 मार्च, 2024 तक हाउस कीपिंग असिस्टेंट के सृजित पदों को सरेंडर (अभ्यर्पित) करने का निर्णय लिया है।
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर (एमपीपी) अमित सिंह मेहरा ने सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को अस्पतालों में आउटसोर्स (ठीका) से साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित कर दिया है। साथ ही कहा है कि मेडिकल डिपार्टमेंट के मैनपावर, साफ-सफाई की नई तकनीक और कार्य अध्ययन की समीक्षा के बाद रेलवे अस्पतालों में आउटसोर्स से सफाई व्यवस्था कराने का फैसला लिया गया है।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर स्थित ललित नारायण मिश्र केंद्रीय अस्पताल में पदों का सरेंडर शुरू हो गया है। अस्पताल प्रबंधन ने 48 पदों को सरेंडर कर दिया है। शेष पद भी जल्द सरेंडर हो जाएंगे।
अस्पताल में करीब 60 सफाईकर्मी तैनात हैं, इनमें से कुछ ही कार्यरत रह गए हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद किसी सफाईकर्मी की तैनाती नहीं होगी। यह पद वर्ष 2024-25 के स्वीकृत पुस्तिका से हट जाएगा।
पद सरेंडर का यह मामला नया नहीं है। इसके पहले भी रेलवे अस्पताल में विभिन्न विभागों के लगभग 100 पद सरेंडर किए जा चुके हैं। नए पदों पर भर्ती लगभग बंद ही है। रेलवे अस्पताल ही नहीं अन्य विभागों में भी पद सरेंडर हो रहे हैं।
सहायक रसोइया, बिल पोस्टर, टाइपिस्ट, माली, दफ्तरी, बढ़ई, खलासी व पेंटर के पद भी अनुपयोगी होते जा रहे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे में वर्ष 2022-23 में कर्मचारियों के 1,239 पद सरेंडर कर दिए गए। एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक लखनऊ रेल मंडल में सर्वाधिक 357 पद, वाराणसी मंडल में 285 और इज्जतनगर मंडल में 210 तथा मुख्यालय गोरखपुर के यांत्रिक कारखाने से 124 पद सरेंडर हुए हैं।
परिचालन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भी 115 और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मेडिकल विभाग में भी 78 पद सरेंडर किए गए हैं। वर्ष 2020 से पहले तीन वर्ष में पूर्वोत्तर रेलवे के 9,366 नौकरियां समाप्त कर दी गईं। यह तब है जब पूर्वोत्तर रेलवे के कुल 19 यूनिटों में 11,003 पद खाली चल रहे हैं। मई, 2024 तक सृजित 59,367 पद के सापेक्ष 48,364 रेलकर्मी तृतीय व चतुर्थ श्रेणी ही तैनात हैं।
रेलवे बोर्ड के इस फरमान से कर्मचारी संगठनों में रोष है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता का कहना है कि चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, उपकरण और समुचित इलाज के अभाव से जूझ रहे रेलवे अस्पताल गोरखपुर के अस्तित्व पर संकट और गहराता जा रहा है।
अस्पताल प्रबंधन ने तो पैरा मेडिकल स्टाफ के पद पर भी तैनाती नहीं की है। सरकार रेलवे ही नहीं अस्पतालों को भी निजी हाथों में देने की साजिश रच रही है। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के माध्यम से रेल मंत्रालय तक इसका विरोध किया जाएगा।