गोरखपुर पीपीगंज कस्बे व उसके आसपास के गांव में राजीव रंजन चौधरी के परिवार की राजनीतिक पकड़ है। उसके परिवार के लोग लंबे समय तक प्रधान रहे। वर्तमान में मां जिला पंचायत सदस्य है।
विधानसभा चुनाव में इन लोगों ने विधायक फतेह बहादुर का प्रचार किया था लेकिन निकाय चुनाव में मना करने के बाद भी राजीव रंजन ने पत्नी को पीपीगंज से चेयरमैन का चुनाव लड़ा दिया।इसके बाद मनमुटाव बढ़ गया।
कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्र में जिला पंचायत के नौ वार्ड हैं। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष व विधायक की पत्नी साधना सिंह और सरोज देवी ही जीती थीं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी यह परिवार विधायक के साथ रहा।
निकाय चुनाव में राजीव रंजन चौधरी ने अपनी पत्नी चंद्रमा के लिए चेयरमैन का टिकट मांगा लेकिन नहीं मिला।इसके बाद चंद्रमा देवी को उसने निर्दल मैदान में उतार दिया। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण विश्वकर्मा जीते।
दूसरे नंबर पर निर्दल प्रत्याशी गंगा जायसवाल व तीसरे पर चंद्रमा देवी रहीं। परिणाम आने के बाद विधायक के करीबी रहा परिवार दूर होने के साथ ही विरोधी हो गया। हत्या कराने के लिए ठीका देने व चंदा इकट्ठा करने का आरोप राजीव रंजन पर लगने के बाद कैंपियरगंज क्षेत्र के हर चौराहे पर इसी मामले की चर्चा शुरू हो गई है।पुलिस इन तथ्यों की भी जांच कर रही है।
राजीव रंजन चौधरी उर्फ रिंकू का कहना है कि विधायक फतेह बहादुर सिंह फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर उसे व पूरे परिवार को जेल भेजवाना चाह रहे हैं। पहले भी कैंपियरगंज क्षेत्र में कई लोगों को फर्जी मुकदमे में जेल भेजवा चुके हैं।
भाजपा की सरकार बनने के बाद उनकी मंशा पूरी नहीं हो रही। परिवार को प्रताड़ित करने के लिए झूठा आरोप लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री से मांग है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने के साथ ही परिवार की सुरक्षा करें।