गोरखपुर राजकीय पक्षी सारस को गोरखपुर वन प्रभाग क्षेत्र की आबोहवा पसंद आने लगी है। इसका नतीजा है कि उनका कुनबा लगातार बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर वर्ष 2021 में शुरु हुई गणना में इनकी संख्या महज 128 थी। लेकिन तीन वर्षो में इनकी संख्या पांच गुणा बढ़कर 675 हो गई है। इसमें 99 बच्चे शामिल हैं।
वन विभाग वर्ष में दो बार सारस की गणना कराता है। इसमें एक शीतकालीन में और दूसरी ग्रीष्मकालीन में। वन विभाग द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक 2021 में जिले में कुल राजकीय पक्षियों की संख्या 128 थी। इनमें 112 व्यस्क और 16 बच्चे शामिल थे। लेकिन इसके बाद से इनका कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है।
वर्ष 2022 में इनकी संख्या 187 पहुंच गई। इसमें 169 व्यस्क और 18 बच्चे शामिल थे। इसके बाद वन विभाग ने राजकीय पक्षियों की देखभाल और दोगुनी कर दी। इसका असर यह हुआ कि 2023 में कुल सारसों की संख्या 426 पहुंच गई। इनमें 347 व्यस्क और 79 बच्चे शामिल थे।
इस साल जून माह में जब वन विभाग ने इनकी गणना कराई तो उनकी संख्या बढ़कर 675 पहुंच गई है। इनमें 576 व्यस्क और 99 बच्चे शामिल हैं। इनकी संख्या बढ़ने पर विभाग ने खुशी जताई है।
वन विभाग का कहना है कि सारस की जनसंख्या बढ़ना पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है। उन्हें बेहतर भोजन और रहने के लिए अच्छा पर्यावरण वन प्रभाग क्षेत्र में मिल रहा है। इसी वजह से वह गोरखपुर परिक्षेत्र को पसंद कर रहे हैं।
प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं सारस
डीएफओ विकास यादव ने बताया कि गोरखपुर में कुल 11 रेंज है। इन रेंजों में कुछ खास क्षेत्र हैं, जो सारस के लिए उपयुक्त है। इन क्षेत्रों में हर दिन सुबह और शाम सारस अपने जोड़ों में दिखाई देते हैं। ऐसे स्थानों पर वन विभाग की टीम प्रतिदिन गश्त कर उनकी गणना करती है।
खास बात यह है कि सारस एक ही क्षेत्र में रहते हैं। उसी क्षेत्र में अपना घोंसला भी बनाते हैं। वन विभाग का कहना है कि इन्हें प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। अगर सारस के जोड़े में एक की मौत हो जाती है तो दूसरा भी कुछ दिनों के अंदर ही प्राण त्याग देता है।
डीएफओ विकास यादव ने कहा कि राजकीय पक्षी सारस की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह गोरखपुर वन प्रभाग के लिए सुखद है। यहां की आबोहवा उन्हें पसंद आ रहा है। यही कारण है कि पिछले तीन से चार सालों के अंदर सारस की संख्या पांच गुना बढ़ी है।